आचार्य चाणक्य कहते हैं जो पुरुष अच्छे वस्त्रों के शौकिन होते हैं, जो पुरुष स्वयं को सुंदर दिखाने की कोशिश करते हैं, जो पुरुष तरह-तरह के शृंगार करते हैं उनमें कामवासना की अधिकता होती है। इसके विपरित जो पुरुष कामवासना से शून्य है वह शृंगार आदि में बिल्कुल भी रूचि नहीं दिखाता है