16-04-2012, 06:56 PM
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#23
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Re: बिनाका गीतमाला (Binaca Geetmala) 1953 -1993
पेश है अमीन सायानी के बारे में और अधिक जानकारी.
एक जमाना था जब रेडियो घर के एक कोने की शान हुआ करता था और घर के सभी सदस्य उसके प्रसारणों को ध्यान से सुना करते थे। रेडियो उस जमाने में आकर्षण का केंद्र होता था। लेकिन समय बदला और टी.वी. ने घरों में अपने पैर पसार लिए। रेडियो थोडा नेपथ्य में चला गया, पर आज एक बार फिर समय बदला है। तकनीक और जरूरत दोनों ने ही रेडियो को पूरे देश में जनता का एक चहेता माध्यम बना दिया है। आज आपको रेडियो घर-शहर, गली-चौराहों में गूंजता मिल जाएगा। रेडियो की इस यात्रा में कई नामी चेहरे शामिल हुए जिन्होंने आवाजों की इस सुरीली दुनिया को यादगार बना दिया।
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