Re: बिनाका गीतमाला (Binaca Geetmala) 1953 -1993
अमीन सयानी ने रेडियो पर बोलने की अपनी एक खास शैली बनाई। "बहनांे और भाइयों" से शुरुआत करने वाले अमीन सयानी की आवाज के उतार-चढाव का एक खास अंदाज है। जिसकी नकल करने वालों की आज भरमार है। वे रेडियो से जुडी ऐसी एकमात्र हस्ती हैं जिन्हें पद्मश्री से नवाजा जा चुका है। रेडियो सीलोन से जुडे नियमित भारतीय उद्घोषकों की एक लंबी कतार रही है। गोपाल शर्मा, मनोहर महाजन, दलबीर सिंह परमार, विजय लक्ष्मी और शिवकुमार "सरोज" इनमें प्रमुख हैं। 1956 में जब बी.के. दुबे का कार्यकाल खत्म हो रहा था तो रेडियो सीलोन की साख को बचाए रखने के लिए वे लेकर आए गोपाल शर्मा को। रेडियो सीलोन पर अपनी पहली उद्घोषणा में गोपाल शर्मा इतने घबराए हुए थे कि वे बोल गए - "अब सुनिए अंदाज" का गाया ये गीत, फिल्म है "मुकेश"। आगे चलकर गोपाल शर्मा ने रेडियो सीलोन पर कई नामी कार्यक्रम पेश किए। उन्होंने ही कार्यक्रम से पहले "सिग्नेचर-ट्यून" बजाने की परंपरा का आगाज किया। उनके द्वारा शु डिग्री किए गए "कल और आज", "सरगम", "एक और अनेक", "शीर्षक संगीत" जैसे कार्यक्रमों को लोग आज भी याद करते हैं। इसी तरह शिवकुमार "सरोज", मनोहर महाजन और विजयलक्ष्मी जैसे उद्घोषकों ने भी बहुत नाम कमाया।
|