Re: बिनाका गीतमाला (Binaca Geetmala) 1953 -1993
रेडियो सीलोन के उद्घोषकों के अलावा कुछ स्वतंत्र ब्रॉडकास्टर रहे हैं जिन्होंने रेडियो की दुनिया में काफी नाम कमाया। इनमें बृजभूषण और मधुर भूषण प्रमुख हैं। बैंक ऑफ बडौदा की संगीत पहेली और मफतलाल की अमृत वाणी उस दौर के उनके मशहूर कार्यक्रम रहे हैं। बृजजी ने फिल्मों में संगीत भी दिया। "मिलाप" फिल्म का मुकेश का गाया मशहूर गीत "कई सदियों से" उन्हीं की धुन पर आधारित है। आगे चलकर बृजजी टेलीविजन की दुनिया से जुड गए। "हीरा है सदा के लिए" या "एल. आई. सी." जीवन के बाद भी उन्हीं की कही गयी पंक्तियां हैं।
टी.वी. धारावाहिक महाभारत में "मैं समय हूं" कहने वाले हरीश भिमाणी भारत की एक जानी-पहचानी आवाज हैं। रेडियो के लिए उन्होंने स्वतंत्र रूप से हजारों कार्यक्रम किए हैं। इसके अलावा उन्होंने विज्ञापनों, टी.वी., मंच और फिल्मों के लिए भी अपनी आवाज दी है।
सन 1957 में विविध-भारती की स्थापना के बाद प्रसारण की दुनिया में कई बहुत ही चमकते हुए सितारों का आगमन हुआ। कब्बन मिर्जा, बृजभूषण साहनी, आशा साहनी, कांता गुप्ता, लड्डूलाल मीणा, कमल शर्मा, यूनुस खान और रेडियो-सखी की नाम से जानी जाने वाली ममता सिंह जैसे उद्घोषकों ने व्यापक स्तर पर अपनी पहचान कायम की। विशेष रूप से उद्घोषकों का कार्यक्रम छायागीत हो या फिर हवामहल, त्रिवेणी, मनचाहे गीत, जयमाला जैसे कार्यक्रम जनता के संस्कारों का हिस्सा बन चुके हैं। विविध-भारती के उद्घोषक आज भी अपनी साफ आवाज और सही अंदाज के लिए जाने जाते हैं। अहिंदी भाषी श्रोता विविध-भारती को सुन-सुनकर ही अपनी भाषा को प्रांजल बनाते हैं। विविध-भारती आज सारी दुनिया में सुना जा रहा है। इंटरनेट के जरिए सात समंदर पार भी इस रेडियो स्टेश्न ने अपनी पहचान दुबारा कायम की है।
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