Re: बिनाका गीतमाला (Binaca Geetmala) 1953 -1993
एफ.एम. क्रांति आने के बाद कई निजी रेडियो स्टेशन आ गए हैं और इससे रेडियो प्रेजेन्टरों की एक नई पौध तैयार हुई है। जीतू राज, अनुराग पांडे, अनमोल, लावण्या, अनिरुद्ध चावला, मलिष्का जैसे कई युवा उद्घोषक काफी लोकप्रिय हुए हैं। लेकिन इस नई पौध के साथ दिक्कत ये है कि सभी के अंदाज और आवाजें एक जैसी सुनाई पडती हैं। जबकि पुराने जमाने के प्रसारण-कर्ताओं में चाहे अमीन साहब हों या फिर मनोहर महाजन, हरीश भिमाणी हों या कमल शर्मा और युनूस खान सभी की अपनी शैली, अपना अंदाज है। जाहिर है कि अगर लंबे समय तक सुनने वालों के दिलों पर राज करना है तो नई शैली और नए अंदाज के साथ रेडियो की तरंगों पर अपनी मौजूदगी को साबित करना होगा।
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