Re: तेनाली राम की कहानियॉ
अगले दिन तेनाली राम ने ब्राह्म्णों को निमंत्रण-पत्र भेजा। उसमें लिखा था कि तेनाली राम भी अपनी माता की पुण्यतिथि पर दान करना चाहता हैं। क्योंकि वह भी अपनी एक अधूरी इच्छा लेकर मरी थीं। जब से उसे पता चला है कि उसकी माँ की अन्तिम इच्छा पूरी न होने के कारण प्रेत-योनी में भटक रही होंगी, वह बहुत ही दुःखी है और चाहता है कि जल्दी उसकी मॉ की आत्मा को शान्ति मिले। ब्राह्म्णों ने सोचा कि तेनाली राम के घर से भी बहुत अधिक दान मिलेगा’ क्योंकि वह शाही विदूषक है।
सभी ब्राह्म्ण निश्चित दिन तेनाली राम के घर पहुँच गए। ब्राह्म्णों को स्वादिष्ट भोजन परोसा गया। भोजन करने के पश्चात् सभी दान मिलने की प्रतीक्षा करने लगे। तभी उन्होने देखा कि तेनाली राम लोहे के सलाखों को आग में गर्म कर रहा है। पूछने पर तेनाली राम बोला, “मेरी माँ फोडों के दर्द् से परेशान थीं। मॄत्यु के समय उन्हें बहुत तेज दर्द हो रहा था। इससे पहले कि मैं गर्म सलाखों से उनकी सिकाई करता, वह मर चुकी थी।” अब उनकी आत्मा की शान्ति के लिए मुझे आपके साथ वैसा ही करना पडेगा, जैसी कि उनकी अन्तिम इच्छा थी।” यह सुनकर ब्राह्म्ण बौखला गए। वे वहॉ से तुरन्त चले जाना चाहते थे। वे गुस्से में तेनाली राम से बोले कि हमें गर्म सलाखों से दागने पर तुम्हारी मॉ की आत्मा को शान्ति मिलेगी?”
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