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Old 09-12-2010, 03:06 PM   #3
Hamsafar+
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Default Re: तेनाली राम की कहानियॉ

“नहीं महाशय्, मैं झूठ नहीं बोल रहा। यदि सोने के आम दान में देने से महाराज की मॉ की आत्मा को स्वर्ग में शान्ति मिल सकती है तो मैं अपनी मॉ की अन्तिम इच्छा क्यों नहीं पूरी कर सकता?”

यह सुनते ही सभी ब्राह्म्ण समझ गए की तेनाली राम क्या कहना चाहता है। वह बोले, “तेनाली राम, हमें क्षमा करो। हम वे सोने के आम तुम्हें दे देते हैं। बस तुम हमें जाने दो।”

तेनाली राम ने सोने के आम लेकर ब्राह्म्णों को जाने दिया, परन्तु एक लालची ब्राह्म्ण ने सारी बात राजा को जाकर बता दी। यह सुनकर राजा क्रोधित हो गए और उन्होनें तेनाली राम को बुलाया। वे बोले “तेनाली राम यदि तुम्हे सोने के आम चाहिए थे, तो मुझसे मॉग लेते। तुम इतने लालची कैसे हो गए कि तुमने ब्राह्म्णों से सोने के आम ले लिए?”

“महाराज, मैं लालची नहीं हूँ, अपितु मैं तो उनकी लालच की प्रवॄत्ति को रोक रहा था। यदि वे आपकी मॉ की पुण्यतिथि पर सोने के आम ग्रहण कर सकते हैं, तो मेरी मॉ की पुण्यतिथि पर लोहे की गर्म सलाखें क्यों नहीं झेल सकते?”

राजा तेनाली राम की बातों का अर्थ समझ गए। उन्होंने ब्राह्म्णों को बुलाया और उन्हें भविष्य में लालच त्यागने को कहा।

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Last edited by Hamsafar+; 09-12-2010 at 06:32 PM.
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