Re: छींटे और बौछार
हमे एक घर बनाना था ये हम क्या बना बैठे?
कहीं मंदिर बना बैठे, कहीं मस्जिद बना बैठे..
होती नहीं फिरकापरस्ती परिंदों में क्यूँ?…
कभी मंदिर पे जा बैठे, कभी मस्जिद पे जा बैठे…
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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