Re: साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
उर्दू के प्रसिद्ध शायर एहसान दानिश से मुशायरे के व्यवस्थापकों ने निवेदन किया कि ‘हम एक मुशायरा करवा रहे हैं. आप उसमें शामिल हो कर मुशायरे की शोभा बढ़ाये.’
एहसान ने पूछ लिया, “कितना पैसा मिलेगा”.
व्यवस्थापकों ने नम्रता से जवाब दिया, “आप इस मुशायरे में बिना पैसा लिए आकर हमें धन्यवाद का अवसर प्रदान करें.”
एहसान पर उनकी बातों का कोई प्रभाव न पड़ा. उन्होंने कारोबारी लहजे में जवाब दिया, “हुज़ूर आपको धन्यवाद का अवसर प्रदान करने में मुझे कोई ऐतराज़ नहीं था और बिना पैसे के आपके मुशायरे में आ जाता अगर मैं अपने शेरों से अपने बच्चों का पेट भर सकता. आप खुद ही बताइए कि अगर घोड़ा घास से यारी करेगा तो क्या वह आपके धन्यवाद पर जीवित रह सकता है?”
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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