Re: प्रश्नचिह्न
सबसे पहले मै रजत जी को धन्य वाद देना चाहूंगी इस विषय को यहाँ रखने के लिए ....रजत जी , कई बार समाज में हमारे जीवन में ऐसी एईसी घटनाएँ घट जाती हैं की भगवान पर से विश्वास उठने लगता है , एइसा लगता है की ईश्वर इस दुनिया में है ही नही , किन्तु फिरसे एइसा कुछ हो जाता है की हम मानने लगते हैं की ईश्वर है . सबसे पहले कुछ उदहारण देना चाहूंगी , जिससे पता चलता हे की ईश्वर है
१---चित्तोड़ गढ़ के बानमाता मंदिर में आरती के समय त्रिशूल का अपने आप हिलना
२---" माँ ज्वाला मुखी" में हमेशा ज्वाला का निकलना
३---सीमा पर स्थित तनोत माता के मंदिर में ३००० बमों में से एक का न फूटना
४--- केदारनाथ में इतने बड़े हादसे के बाद भी मंदिर का बाल बांका न होना
५---पूरी दुनिया में आज भी रामसेतु पर पानी पर पत्थर आज भी तैरते हैं
6---रामेश्वर धाम में सागर का कभी उफान न मरना भले ही keisi भी सुनामी क्यों न आये ..
एइसे ही कई और उद्धरण है गंगा नदी नर्मदा नदी के , उनने की तापी नदी के गरमपानी का , उज्जैन के भैरव नाथ का मदिरा पीना,.. भीमगोड़ा में पांड्वो द्वारा जो घुटनों से पानी निकला गया माता कुंती के लिए उस झरने का लगातार आज तक रहना भले बड़े से बड़ा अकाल पड़े इसका पानी कभी नही सुखना आदि.......... एईसी बातें है की आज भी भगवान् है तो सही कही न कही इस बात को प्रमाणित करती है .. अब सवाल उठता है की अछे काम करने के बावजूद क्यों लोग दुखी होते हैं उनके जीवन में क्यों एईसी घटनाये घटती हैं .. तो एक श्री मद्भागवत गीता की थ्योरी रखना चाहूंगी जेइसे की उसमे कृष्ण भगवान ने कहा है की कर्मो के अनुसार इन्सान को अच्छा बुरा मिलता है और कर्म कई जन्मो तक आपके साथ चलते हैं क्यूंकि मानव जीवन के वर्ष उसके कर्मो से कम होते हैं हम एक जीवन में कई कर्म करते हैं कभी अछे कभी अनजाने में बुरे कुर्म हो जाते है हमसे . जिसका फल हमे भुगतना पड़ता ही है और यही नही हमारा अगला जन्म इसी नियम को लेकर बनता है की पहले हमने कौन से कर्म किये अच्छे या बुरे मरने के बाद कौन से लोक में जाना ये भी हमें हमरे कर्मो के अनुसार मिलता है जिसमे पित्री लोक , स्वर्ग लोक या मृत्यु लोक मिलते है लोगो को कर्मो के अनुसार .
और दुसरे कई बार हमे आज भी एईसी घटनाये देखने को मिलती है की जैसे की भूकंप के समय एक महीने बाद भी एक छोटे से बच्चे का जिन्दा मिलना , अब वहां उसे कौन खाना पानी देगा जहा वो मलबे के निचे दबा हुआ है जबकि बच्चे क्या बड़ो को भी ८ दिन खाना न मिले तो अधमरा हो जाता है. तो मै इतना कहूँगी ये कहावत जो आपने रजत जी पहले लिखी है वो चरितार्थ होती है जाको राखे साईयाँ मार न सके कोई "
और एक बात यहाँ कहना चाहूंगी की मै खुद कई बार एइसा एइसा सोचने लगाती हूँ जब किसी मंदिर के पास बम फूटते हैं कभी नमाज पढ़ते हुए लोगो पर बम फूटने के समाचार हमे मिलते है तब मई बोल उठती हूँ की एइसा keise हुआ भगवन तब कहा गए थे आपने भक्तो का रक्षण क्यों न किया किन्तु तब रमायन का एक दोहा याद आ जाता है " होइहे वो ही जो राम रची राखा "कई बार हम इश्वर की लीला को समझ नही पाते क्यूंकि हम मानव हैं और वो ईश्वर हैं ईश्वर विराट है अंत हिन् हैं , और सदा सर्वदा है इश्वर अनन्त है जिसके स्वरुप तो अनेक हैं किन्तु वो सिरफ़ एक दिव्य शक्ति है फिर चाहे हिन्दू उसे इश्वर कहें , मुस्लिम्स उन्हें खुदा कहें या क्रिचियन मसीहा कहें पर भगवन एक ही है अलग अलग भगवान होते तो आज इंसानों की तरह सब भगवान् भी लड़ते शायद की ये मेरा इंसान है ये तेरा इंसान है पर आज आप गिरिजाघर में जाओ मस्जिद में जाओ या मंदिर में जाओ आपको एक जैसी शांति का अनुभव होगा न की खुद के धर्म के अनुसार के मंदिर मस्जिद या चर्च में अलग अलग भाव आयेंगे आपके मन में .और जहाँ तक मेरा ज्ञान है सभी धार्मिक किताबे इंसान को अछ्छी बातें ही सिखलाती हैं .
रजत जी मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार बस इतना ही कह सकती थी मै जितना यहन मैंने लिखा है .
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