Re: प्रश्नचिह्न
रजत जी ,इस दुनिया में सबकुछ इंसान की मर्ज़ी के मुताबिक नहीं होता ,कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिस पर इंसान का कोई नियंत्रण नहीं होता ,एक अदृश्य शक्ति ही सबकुछ संचालित करती है और उस शक्ति को ही हम भगवान मानते हैं। सोनी पुष्पाजी ने सही कहा है की हमारे कर्मों के अनुसार ही हमारे साथ अच्छा या बुरा होता है। इस दुनिया में जन्म लेने के बाद तो भगवान को भी अपने कर्मों को भोगना पड़ा था। जैसे भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु के संदर्भ में कथा प्रचलित है की भगवान श्री कृष्ण एक पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे तो एक शिकारी ने दूर से उन्हें हिरन समझ कर तीर चला दिया जो भगवान के पैर में जाकर लगा ,जब शिकारी ने पास आकर देखा की वो श्रीकृष्ण हैं तो वो रोने लगा और पश्चाताप करने लगा तब श्रीकृष्ण ने उसे बताया की ये सब पहले से निर्धारित था , मैंने राम के रूप में बाली को छुप कर तीर मारा था और उसका वध किया था यह उसी का परिणाम है. लेकिन मैं यहाँ यह सब कहकर उन लोगों को सही नहीं ठहरा रही जोलोग गलत हरकतें करते हैं या दुष्कर्म करते हैं ,गलत लोग हर हाल में गलत ही होते हैं,और अपनी गलती का परिणाम हर इंसान को भुगतना ही पड़ता है।
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