Re: Dil Wale Dulhaniya Le jaaenge
दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे
राज (शाहरुख खान) आप्रवासी भारतीय धरमवीर मल्होत्रा(अनुपम खेर) का बिगड़ा हुआ रईस बेटा है, जो पढ़ाई मे फेल हो जाता है| उसकी और धरमवीर मे बाप-बेटे की जगह दोस्ती का रिश्ता है| राज भी अपने दोस्तों के साथ युरोप घूमने निकल पड़ता है| ट्रेन मे उसकी मुलाक़ात सिमरन से होती है और दौरा ख़त्म होते होते बहुत नौंक-झौंक के बाद उन्हे प्यार का एहसास होता है| सिमरन वापस आकर अपनी माँ को सब बात बताती है जिसे बलदेव सिंह सुन लेते है| गुस्से मे आकर बलदेव सिंह पंजाब जाने की तैयारी करते है| वही दूसरी ओर धरमवीर राज को सिमरन को लाने के लिए समझाते है| फिल्म का दूसरा भाग भारत मे है जहाँ कुलजीत और उसका परिवार शादी की तैयारियाँ कर रहा है| राज भारत आकर कुलजीत और उसके परिवार के साथ दोस्ती करता है| वह सिमरन को भागने के बजाए उसके पिता की मंज़ूरी के साथ ले जाना चाहता है| फिर शुरू होती है राज की सिमरन को दुल्हन बना कर ले जाने की कवायद|
फिल्म विदेशी प्रभाव और भारतीय संस्कृति के बीच मे संतुलन का संदेश देती है| जहाँ एक तरह राज और सिमरन विदेश मे पले बड़े है वही दूसरी तरफ राज सिमरन को भागने से मना कर देता है और बड़ों के आशीर्वाद और मंज़ूरी से ही सिमरन से शादी करना चाहता है| फिल्म की पटकथा दर्शकों को बाँधे रखती है और फिल्म के गीत कहानी को आगे बढ़ाने में सहायता करते हैं| फिल्म के गाने दर्शकों को बेहद पसंद आए है और हर गीत एक छाप छोड़ जाता है| "घर आजा परदेसी" जहाँ आप्रवासी भारतीय को वापस बुलाती है वही "मेरे ख्वाबों" सिमरन के सपनो के राजकुमार का वर्णन करता है| "हो गया है तुझको तो प्यार सजना" सिमरन और राज के अज्ञात प्यार की भावनाए दर्शाती है| गीतों के बोल और लताजी की आवाज़ ने गानो को आज के दर्शको मे भी लोकप्रिय कर दिया है| फिल्म के संवाद "बड़े बड़े देशो मे छोटी छोटी बातें तो होती रहती है" ने दर्शकों का दिल जीत लिया|
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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