Re: निंदक नियरे राखिये
मैं कबीर दास जी के इस दोहे से बिल्कुल सहमत हूँ। हमारे आलोचक हमारे सबसे बड़े शुभचिंतक होते हैं। हमें हमारी कमियां बता कर वो न सिर्फ हमें बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं बल्कि हमें प्रेरित करते हैं कि हम कैसे अपना जीवन और सफल बना सकें।
हम सभी में कमियां होती हैं , कोई भी व्यक्ति Perfect नहीं होता। ये जीवन हम सभी को मिला ही इसलिए है कि हम हर रोज़ कुछ नया सीख सकें और Improve कर सकें।
आज के ज़माने में एक अच्छा आलोचक मिलना बहुत कठिन काम है। क्यूंकि आज किसी को भी किसी से ज़्यादा मतलब नहीं , लोग अपने जीवन में इतने मस्त हैं कि उन्हें कोई परवाह ही नहीं कि दूसरे लोग क्या कर रहे हैं या उन्हें क्या करना चाहिए।
criticism में और Insult में एक बारीक रेखा होती है। अक्सर लोग उस रेखा की अवहेलना कर देते हैं। और उनकी आलोचना से सामने वाला व्यक्ति खुद को अपमानित महसूस करने लगता है।
Practically कहूँ तो ऐसा नहीं है कि लोग नहीं चाहते कि कोई दूसरा व्यक्ति आगे बढे। वो चाहते हैं कि दूसरे लोग भी तरक्की करें परन्तु दूसरों की तरक्की उनकी खुद की तरक्की से कम होनी चाहिए।
पर अभी भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो आपकी भलाई चाहते हैं , जो चाहते हैं कि आप Life में Improve करें। जिन्हें आपसे कोई स्वार्थ नहीं होता , वो आपसे कुछ चाहते नहीं हैं , बस आपकी सहायता करते हैं जिससे आप सीख सकें और तरक्की कर सकें। ज़रूरत है तो बस ऐसे लोगों को पहचानने की और उन पर भरोसा करने की।
क्यूंकि यही वो लोग होते हैं जो Genuinely आप में इतनी कमियां निकालते हैं कि आपके पास बस खूबियां ही रह जाती हैं।
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