Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
“हूँ।” “ले का होही, भेज देहूँ।” (“कोई बात नहीं, भेज दूँगी।”)
“हूँ।” रक्सिन के जाय के बाद छोटे बहिनीहा मूड़ुल ला कहिस, ‘अरे मूड़ुल, आज रात के तैं हा अपन बड़े दाई घर चल देबे सुते बर’।” (राक्षसिन के जाने के बाद छोटी बहन ने मूड़ुल से कहा, ‘अरे मूड़ुल, आज रात को तू अपनी बड़ी माँ के घर चल देना’।”)
“हूँ।”
सब्बो लइका मन जानत रहिन हे कि ओखर बड़े दाई हा रक्सिन हे, एखरे सेती मूड़ुल हा कहिस, ‘मैं नइ जाँव दाई, मोर मूड़ पिरात हे’।” (“सभी बच्चे जानते थे कि उनकी बड़ी माँ राक्षसिन है, इसीलिए मूड़ुल नेकहा, ‘मैं नहीं जाता माँ, मेरा सर दर्द कर रहा है’।”) “हूँ।” “तब वो हा हाथुल ला कहिस, ‘अरे हाथुल, आज रात के तैं हा अपन बड़े दाई घर चल देबे सुते बर’।” (“तब उसने हाथुल से कहा, ‘अरे हाथुल, आज रात को तू अपनी बड़ी माँ के घर चल देना’।”) “हूँ।” “हाथुल बोलिस, ‘मैं नइ जाँव दाई, मोर हाथ पिरात हे’।” (“हाथुल बोला, ‘मैं नहीं जाता माँ, मेरा हाथ दर्द कर रहा है’।”)
“हूँ।”
“फेर वो हा गोड़ुल ला कहिस, ‘अरे गोड़ुल, आज रात के तैं हा अपन बड़े दाई घर चल देबे सुते बर’।” (“फिर उसने गोड़ुल से कहा, ‘अरे हाथुल, आज रात को तू अपनी बड़ी माँ के घर चल देना’।”)
“हूँ।”
“गोड़ुल बोलिस, ‘मैं नइ जाँव दाई, मोर गोड़ पिरात हे’।” (“गोड़ुल बोला, ‘मैं नहीं जाता माँ, मेरा हाथ दर्द कर रहा है’।”) “हूँ।” “आखिर में वो हा खिरमिच ला कहिस, ‘अरे खिरमिच, आज रात के तैं हा अपन बड़े दाई घर चल देबे सुते बर’।” (“अन्त में उसने खिरमिच से कहा, ‘अरे खिरमिच, आज रात को तू अपनी बड़ीमाँ के घर चल देना’।”)
“हूँ।”
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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