Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
“फेर हँउला भर पानी ला पी के कहिस के हत्त रे खिरमिच, मासेच् मास रेहे रे, हाड़ा एक्को नइ रहिस तोर में।” (“फिर एक हुंडी पानी पीकर बोली कि हत्तेरे की रे खिरमिच, तू मांस ही मांस था, हड्डी एक भी नहीं थी तुझमें।”)
“हूँ।”
“अइसे कहिके रक्सिन हा सुत गे।” (“ऐसा कह कर राक्षसिन सो गई।”)
“हूँ।”
“बिहिनिया होइस तो खिरमिच चिचियाके कहिस जोहार ले बड़े दाई अउ दुआरी ला खोल के जल्दी से भाग गे।” (“सवेरा होने पर खिरमिच ने चिल्लाकर अपनी बड़ी माँ का अभिवादन किया और दरवाजा खोल कर जल्दी से भाग लिया।”)
“हूँ।”
“अब ए खिरमिच ला नइ छोड़वँ कहिके रक्सिन खिरमिच ला खाए बर वोखर पिछू भागिस।” (“इस बार मैं खिरमिच को नहीं छोड़ूँगी कहकर राक्षसिन खिरमिच कोखाने के लिए उसके पीछे भागी।”)
“हूँ।”
“खिरमिच हा डेरा के एक ठिक उच्च असन रूख में चढ़ गे।” (“डर कर खिरमिच एक ऊँचे वृक्ष पर चढ़ गया।”) “हूँ।” “रक्सिन ला रूख चढ़े बर नइ आत रहिस हे।” (“राक्षसिन को झाड़ पर चढ़ना नहीं आता था।”)
“हूँ।”
“वो हा जंगल के जम्मो बघवा मन ला बुला लिहिस जउन मन बारा झिन रहिस हे।” (उसने जंगल सभी बाघों को बुला लिया जो कि संख्या में बारह थे।”)
“हूँ।”
“एक बघवा उप्पर दुसर बघवा चढ़त गइनअउ सब ले उप्पर बघवा के पीठ में रक्सिन हा चढ़ गे।” (“एक बाघ के ऊपर दूसरा बाघ चढ़ गया और सबसे ऊपर वाले बाघ की पीठ पर राक्षसिन चढ़ गई।”)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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