गुलज़ार जी के 'ईब्ने बतुता' गीत के साथ जो कोन्ट्रोवर्सी हुई थी, कहा जाता था की वह गाना गुलज़ार जी ने सर्वेश्वरदयाल जी की रचना से उठाया था। खैर यह कोन्ट्रोवर्सी बहुत जल्द खत्म हो गई क्यूं की सिर्फ एक ही शब्द 'बतुता' के मिल जाने से पुरी गज़ल कीसी ओर की नहीं हो जाती।
लेकिन उस के बाद सर्वेश्वरदयाल की कविताएं पढने का मन किया, जो बहुत बहुत सुंदर और अद्भुत है। आईए उनके बारें में थोडा सा जानें, उसके बाद उनकी कुछ रचनाएं पढें।
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
जन्म: 15 सितम्बर 1927
निधन: 24 सितम्बर 1983
जन्म स्थानः जिला बस्ती, उत्तर प्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँःकाठ की घंटियाँ, बांस का पुल, गर्म हवाएँ, एक सूनी नाव, कुआनो नदी
विविध कविता संग्रह खूँटियों पर टँगे लोग के लिये 1983 का साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से से विभूषित।।