फिल्मों के नाम वाली कथा
फिल्मों के नाम वाली कथा
(बॉलीवुड स्पैशल)
‘थ्री इडियट्स’ जिनके नाम थे ‘अमर अकबर एंथोनी’ और उनकी बहन ‘बॉबी’ को ‘लगान’ न दे सकने के कारण ‘बैंडिट क्वीन’ ने बंदी बना रखा था. एक रात ये चारों ‘चुपके चुपके’ ‘ज़ंजीर’ तोड़ कर और ‘दीवार’ फांद कर भाग गये. भागते भागते उन्हें ‘दो रास्ते’ मिले. वो बहुत कंफ्यूज़ हुये. तभी एक ‘गाइड’ मिला जिसने उन्हें बताया कि पहला रास्ता तो है ‘अग्निपथ’ और दूसरा रास्ता जाता है ‘बॉम्बे’. उन चारों ने ‘किस्मत’ की बात नहीं सुनी और जो ‘दिल चाहता है’ वही किया. आगे बढ़े ही थे कि एक ‘अछूत कन्या’ ने उन्हें छू लिया. इसके बाद ही जोर की ‘आंधी’ चलने लगी, ‘बरसात’ होने लगी, ‘शोले’ उठने लगे और हर तरफ ऐसा ‘ग़दर’ मच गया कि वो चारों ‘कागज़ के फूल’ की तरह ‘ठोकर’ खा कर घायल हो गये.
‘वक्त’ ने उनके साथ ये कैसा ‘गोलमाल’ किया. इसकी ‘हकीकत’ उन्हें समझ नहीं आई. जिस ‘दो बीघा जमीन’ पर ये सब हुआ, अचानक वहां बड़ा ‘खोसला का घोंसला’ बन गया. ‘दुनिया ना माने’ लेकिन उन्होंने मान लिया कि इस ‘अर्थ’ का अनर्थ रोकने के लिए कुछ करना होगा. उन्होंने घबरा कर तुरंत ‘आराधना’ शुरू कर दी और जोर से बोले ‘हरे रामा हरे कृष्णा’. उनकी आवाज़ सुन कर कृष्णा तो नहीं आये लेकिन ‘दो आँखें बारह हाथ’ वाली ‘मदर इंडिया’ जरूर प्रगट हुई. उन्होंने इस घटना का ‘अर्धसत्य’ नहीं, बल्कि पूरा ‘सत्य’ जानना चाहा. ‘मां’ ने बताया कि इन सब के पीछे उनके बेटे ‘मि. इंडिया’ का हाथ है. यह सुन कर उन चारों का थका हारा ‘प्यासा’ व ‘मासूम’ चेहरा गुस्से से ‘ब्लैक’ हो गया. उस मां ने उन्हें ‘रोटी कपड़ा और मकान’ ऑफर किया. इस ‘उपकार’ के लिए उन्होंने मां को धन्यवाद दिया और भागते हुए मकान की ‘तीसरी मंजिल’ पर पहुंचे, क्योंकि पहली मंजिल पर उमराव जान और दूसरी मंजिल पर 'श्री 420' रहते थे.
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