Re: महाभारत के पात्र: द्रोणाचार्य
महाभारत के पात्र: द्रोणाचार्य
द्रोणाचार्य द्वारा राजा द्रुपद से बदला
>>> द्रुपद को बन्दी के रूप में देख कर द्रोणाचार्य ने कहा, "हे द्रुपद! अब तुम्हारे राज्य का स्वामी मैं हो गया हूँ। मैं तो तुम्हें अपना मित्र समझ कर तुम्हारे पास आया था किन्तु तुमने मुझे अपना मित्र स्वीकार नहीं किया था। अब बताओ क्या तुम मेरी मित्रता स्वीकार करते हो?" द्रुपद ने लज्जा से सिर झुका लिया और अपनी भूल के लिये क्षमायाचना करते हुये बोले, "हे द्रोण! आपको अपना मित्र न मानना मेरी भूल थी और उसके लिये अब मेरे हृदय में पश्चाताप है। मैं तथा मेरा राज्य दोनों ही अब आपके आधीन हैं, अब आपकी जो इच्छा हो करें।" द्रोणाचार्य ने कहा, "तुमने कहा था कि मित्रता समान वर्ग के लोगों में होती है। अतः मैं तुमसे बराबरी का मित्र भाव रखने के लिये तुम्हें तुम्हारा आधा राज्य लौटा रहा हूँ।" इतना कह कर द्रोणाचार्य ने गंगा नदी के दक्षिणी तट का राज्य द्रुपद को सौंप दिया और शेष को स्वयं रख लिया।
कालान्तर में पाण्डवों ने बहुत सी अन्य विद्याओं का अध्ययन किया। भीमसेन ने बलराम को गुरू मान कर खम्भ-गदा आदि की शिक्षा प्राप्त की। इस समय तक युधिष्ठिर के गुणों कि प्रशंसा देश-देशान्तर में होने लगी। समय आने पर धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर को युवराज के पद पर आसीन कर दिया।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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