Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
हम तब तक संतुष्ट नहीं होंगेजब तक एक नीग्रो, पुलिस की अनकही भयावहता और बर्बरता का शिकार होता रहेगा. हम तब तक नहीं संतुष्ट होंगे जब तकयात्रा से थके हुए हमारे शरीरराजमार्गों के ढाबों और शहरके होटलों में विश्राम नहीं कर सकते. हम तब तक नहीं संतुष्ट होंगे जब तक एक नीग्रो छोटी सी बस्ती से निकल कर एक बड़ी बस्ती मेंनहीं चला जाता. हम तब तक संतुष्ट नहीं होंगे जब तक हमारे बच्चों से उनकी पहचानछीनी जाती रहेगी और उनकी गरिमा को,” केवल गोरों के लिए”संकेत लगा कर लूटा जाता रहेगा. हम तब तक संतुष्ट नहीं होंगेजब तक मिस्सीसिप्पी में रहने वाला नीग्रो मतदाननहीं कर सकता और जब तक न्यूयॉर्क में रहने वाला नीग्रो ये नहीं यकीन करने लगता कि अब उसके पास चुनाव करने के लिए कुछ है ही नहीं. नहीं, नहीं हम संतुष्ट नहीं हैं और हम तब तक संतुष्ट नहीं होंगे जब तक न्याय जल कीतरह और धर्म एक तेज धरा की तरह प्रवाहित नहीं होने लगते.
मैं इस बात से अनभिज्ञ नहीं हूँ कि आप में से कुछ लोग बहुत सारे कष्ट सह कर यहाँ आये हैं. आपमें से कुछ तो अभी-अभी जेल से निकल कर आये हैं. कुछ लोग ऐसी जगहों से आये हैं जहां स्वतंत्रता की खोज में उन्हेंअत्याचार के थपेड़ों और पुलिस की बर्बरता से पस्त होना पड़ा है.आपको सही ढंग से कष्ट सहने का अनुभव है. इस विश्वास के साथ कि आपकी पीड़ाका फल अवश्य मिलेगा आप अपना काम जारी रखिये.
मिसिसिप्पी वापस जाइये , अलबामा वापस जाइये, साउथ कैरोलिना वापस जाइये , जोर्जियावापस जाइये, लूजीआनावापस जाइये, उत्तरीय शहरों की झोपड़ियों और बस्तियों में वापस जाइये, ये जानते हुए कि किसी न किसी तरह यहस्थिति बदल सकती है और बदलेगी आप अपने स्थानों पर वापस जाइये. अब हमें निराशा की घाटी में वापस नहीं जाना है.
मित्रों, आज आपसे मैं ये कहता हूँ, भले ही हम आजकल कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, पर फिर भीमेरा एक सपना है (I have a dream),एक ऐसा सपना जिसकी जडें अमेरिकी सपने में निहित है.
मेरा एक सपना हैकि एक दिन यह देश ऊपर उठेगा और सही मायने में अपने सिद्धांतों को जी पायेगा.” हम इस सत्य को मानते हैं कि: सभी इंसान बराबर पैदा हुए हैं”
मेरा एक सपना है कि एक दिनजार्जिया के लाल पहाड़ों पे पूर्व गुलामो के पुत्रऔर पूर्व गुलाम मालिकों के पुत्र भाईचारे की मेज पे एक साथ बैठ सकेंगे.
मेरा एक सपना है कि एक दिन मिस्सिस्सिप्पी राज्य भी , जहाँ अन्याय और अत्याचार की तपिश है , एक आजादी और न्याय के नखलिस्तान में बदल जायेगा.
मेरा एक सपना है कि एक दिन मेरे चारों छोटे बच्चे एक ऐसे देश में रहेंगे जहाँ उनका मूल्यांकन उनकी चमड़ी के रंग से नहीं बल्कि उनके चरित्रकी ताकत से किया जायेगा.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 18-02-2014 at 06:33 PM.
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