पहली बार जब मेले में एक आदमी यह बुलबुले उडाते हुए देखा था तो बहुत ही अचंबा हुआ था। यह तो सचमुच अजुबा था! कैसे एक छोटी सी डिबिया और सलाई से फुंक कर ईतने सार बुलबुले बनते थे। सब बच्चे दौड-दौड कर,ताले मार कर उन्हें फोड रहे थे!
मै भी पापा से पूछ कर वहां दौड गया। पापा ने बाद में एक सेट मुझे भी ले कर के दिया...जो अगली सुबह तक चला।