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Originally Posted by jai_bhardwaj
बन्धुओं, पिछले दिनों मुझे इस ज्वलंत विषय पर एक ब्लॉग में विस्तृत लेख मिला। इस लेख में हिन्दू धर्म के कई सिद्धांतों, विचारों अथवा वैदिक सामाजिक व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़े किये गए हैं। लेखक ने जितनी भी बातें लिखी हैं वे सभी श्री भीमराव अम्बेडकर जी द्वारा रचित किताब पर आधारित हैं।
संभव है कि ब्लॉग लेखक अथवा श्री अम्बेडकर जी के तथ्य तर्क की कसौटी पर खरे उतर रहे हों किन्तु कहीं न कहीं इन तथ्यों से हिन्दू धर्मावलम्बियों को संताप पहुँच सकता है।
तर्क और तथ्य क्या हैं? ये इस सूत्र में आगे की प्रविष्टियों में पढ़े जा सकते हैं। यह तभी संभव है जब प्रबंधन इस विषय पर सूत्र आगे बढाने की अनुमति प्रदान करे।
सहमति के बाद ही अगली प्रविष्टि संभव है।
धन्यवाद।
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विडीओ में इस बात की चर्चा की गयी है की भारत में जातिगत भेदभाव किस हद तक अभी भी क़ायम है। भारत के संविधान के आर्टिकल 15 के तहत समानता का अधिकार सभी भारतियों को दिया गया है जो मौलिक अधिकारों का भाग है। Article 15 के तहत भारत के संविधान में समानता का अधिकार दिया गया है। जिसके तहत १) राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध केवल,धर्म,मूलवंश,जाती,लिंग या जन्म्स्थान इनमे से किसी आधार पर कोई विभेद नही करेगा।
२) कोई नागरिक केवल धर्म,मूलवंश,जाती,लिंग,जन्म्स्थान या इनमे से किसी भी आधार पर
क) सार्वजनिक स्थलों,दुकानो,सार्वजनिक भोजनालय,होटल और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश या
ख ) साधारण जनता के प्रयोग के लिए सरकार द्वारा या सरकारी भागीदारी से बनाए कुओं तालाबों, स्नान घाटों, सड़कों और सार्वजनिक समागमों के स्थानो के उपयोग के सम्बंध में किसी भी प्रकार का भेदभाव नही बरता जाएगा
भारत में संविधान लागू होने के ७० वर्ष के बाद भी समानता के अधिकार से देश की बड़ी आबादी जिसमें ज़्यादातर दलित और आदिवासी है अब भी वंचित है, इस अधिकार की उन्हें सही माने में प्राप्ति नही हुई है। भारत की जातिव्यवस्था और उस कारण बनी भारतियों की मानसिकता इस के लिए ज़िम्मेदार है । इस विडीओ में दिए गए राष्ट्रीय और आंतरराष्ट्रीय शिक्षा संस्थाओं के सर्वे रिपोर्ट और स्टडी रिपोर्ट इस बात की और स्पष्ट इशारा करते है की भारत में इस क़ानून को किस हद तक दरकीनार किया गया है।और इस क़ानून का कैसे सरे आम उल्लंघन होता है।
आरक्षण के विरोधी इस बात का दावा करते है की भारत में जातिव्यवस्था नही बची या इसकी जड़े कमज़ोर हुई है।इसलिए जाती आधारित आरक्षण नही होना चाहिए। इस विडीओ के दोनो भागों में दिए गए रिपोर्ट स्पष्ट करते है की भारत में जाती पर आधारित भेदभाव केवल सामाजिक क्षेत्र में ही नही होता परंतु आर्थिक क्षेत्र में भी होता है।
इस विडियो में हमने आरक्षण क्या है और भारत में आरक्षण का इतिहास के बारे में वर्णन किया है, और इस विडिओ में आरक्षण की समय सीमा को लेकर जो भ्रांति है तथा आरक्षण से कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, ऐसी जो मान्यता है, इन बातों को रीसर्च रिपोर्ट्स के आधार पर समूल ख़ारिज किया गया है।