Re: कुछ अधूरी कहानिया :.........
हवलदार- “भिखारी कहीं का, कभी पैसे भी होते हैं?” और फिर बड़बड़ाता हुआ चला गया।
बापू और दद्दू पुलिस चौकी गए । वहां से लौटे तो माथे से खून बह रहा था- मैंने पूछा क्या हुआ- तो बापू ने कहा कुछ नहीं, साहब ने कहा है कि आज टी.वी. वाले सवाल जवाब करने गांव आ रहे हैं- पूछें कि नेताजी आए थे तो कहना हां। और हमारे दुख दर्द पूछे। नेताजी बहुत अच्छे हैं, कुछ भी सवाल करें तो हां में ही कहना। गलती से भी ना न निकले। और नेताजी की तारीफ करना।
दद्दू कहां हैं, उन्हें और 10-15 जनों को चोरी के इल्जाम में हवालात में बंद कर दिया। कहीं जोश में आकर उल्टा-सीधा न बोल दें। फिर दोपहर में टी.वी. वाले आए और आसपास के लोगों से सवाल करने लगे- कुछ देर बाद हमसे सवाल करने भी आए। हमारी मां से पूछा आपका नाम क्या है?
मां ने कहा करुणा।क्या नेताजी यहां आए थे? जी हां साहब, वही हम गरीबों के सहारा हैं। नेताजी ने अपने भाषण में कहा था कि भारत के 64 साल आजादी के पूरे होने पर हमने बहुत विकास किया है, हर गांव में खाना पहुंच गया है। हमने गांव के लिए 50 करोड़ रुपए दिए हैं। तो क्या आपको दोनों समय भरपेट खाना मिलता है?
जी हां साहब। यह सुनते ही मेरा छोटा भाई बोला आप हर दिन भर पेट खाना खाती हैं- हमें तो नहीं देती। मैंने भाई के मुंह पर हाथ रख दिया। बच्चा है हुजूर। अच्छा-अच्छा आपको पता है, अब आपको आजाद हुए 66 साल हो गए हैं। अब आप स्वतंत्र हैं। आपको किसी से खौफ खाने की जरूरत नहीं है। जी हैं साहब न जाने टीवी वालों ने क्या दिखा दिया कि रात में पुलिस चौकी से हवलदार आए और मां बापू को ले गए। सुबह होने पर मां की लाश कुएं में मिली और बापू की खेत में। टीवी वाले साहब ने ठीक कहा था अब हमें किसी से डरने की जरूरत नहीं है। हम आजाद हैं । शायद इसीलिए ही मेरे मां- बापू को 66 साल की आजादी पर हर दिन की कैद से आजाद कर दिया है। हम सब खुश हैं कि आजाद देश में गुलामों को भी आजाद कर दिया जाता है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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