Re: डार्क सेंट की पाठशाला
पीछे मुड़कर भी देखें
अक्सर कहा जाता है कि पुरानी बातों को भुलाकर हमें भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। जीवन में सफलता के लिए दूरदृष्टि अनिवार्य मानी जाती है। मानव जीवन का लक्ष्य है - हमेशा आगे बढ़ते रहना, लेकिन आगे बढ़ने का अर्थ क्या हमेशा भविष्य की ओर यात्रा है ? शायद नहीं। आगे बढ़ने के लिए पीछे भी जाना होता है। हम कई मुद्दों पर पाते हैं कि इंसान पहले ही ठीक था। आंख मूंदकर आगे की ओर बढ़ते हुए हमने अपने लिए कुछ मुसीबतें मोल ले ली हैं। जैसे पर्यावरण को ही लें। आज जब इससे जुड़े कई तरह के संकट हमारे जीवन में उथल-पुथल मचा रहे हैं, तो हमें बीते दिनों की जीवन पद्धति याद आने लगी है। अब कई पुराने तौर-तरीकों को फिर से प्रतिष्ठित किया जाने लगा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि मानव जाति बेहतर जीवन जी सके। उसका भविष्य सुखद हो सके यानी एक सुखद भविष्य के लिए हमें अतीत की ओर जाना पड़ रहा है। अपने जीवन से अतीत को काटकर अच्छा भविष्य भी नहीं गढ़ा जा सकता। दरअसल हर आदमी कोशिश करता है कि वह समय से आगे दिखे। कोई अपने को पिछड़ा नहीं साबित करना चाहता, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि हर आदमी का समय अलग-अलग होता है और आदमी को इसका पता तक नहीं रहता। अक्सर ऐसा होता है कि एक शख्स अपने जानते समय से बहुत आगे की चीज बता रहा होता है, लेकिन उसे इसका अंदाजा नहीं होता कि उसका दिमाग हकीकत में दो दशक पीछे अटका हुआ है। इसका मतलब यह हुआ कि वह असल में बीते दो दशक से आगे की बात कह रहा है, लेकिन वर्तमान के हिसाब से वह पीछे की ही बात साबित होती है। एक समय में रहकर भी लोग अलग-अलग समय में जी रहे होते हैं। यह अंतर इसलिए होता है कि हर व्यक्ति को आगे बढ़ने के बराबर मौके नहीं मिल पाते। इंसान और इंसान के बीच वर्ग, भाषा और शिक्षा के आधार पर काफी फर्क होता है। इसलिए आधुनिकता भी हमेशा दूसरे के संदर्भ में ही होती है। इसका कोई एक मापदंड नहीं। अतः यदि आपको उचित प्रगति करनी है, तो अपने अतीत में निरंतर झांकते रहिए।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
|