Re: गधा माँगे इन्साफ़
नारद ने क्रोधपूर्वक गधे से कहा- ’मैं अपना शब्द वापस नहीं लूँगा। तू दिन में सपना तो नहीं देख रहा, गधा? मुझे पैदल चलना मंज़ूर है, लेकिन किसी हालत में एक गधे को अपना वाहन नहीं बनाऊँगा। पहले धेंकी, अब डंकी? नो.. ऐसा कभी नहीं होगा! अपमान.. घोर अपमान। मेरा तो श्राप देने का मन कर रहा है।’
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