Re: अजीबो गरीब खबरें जरा हट के
नई दिल्ली/रायपुर.अपने जमाने की सबसे लग्जरी क्रूज लाइनर टाइटेनिक पर भारत से भी एक महिला ने सवारी की थी। यह एक अमेरिकी मिशनरी महिला थीं। जो छत्तीसगढ़ के एक छोटे से शहर जांजगीर-चांपा में काम कर रही थीं।
एनी क्लेमर फंक नामक यह अमेरिकी मिशनरी 1906 में अमेरिका से यहां आई थी और इसे ही अपना घर बना लिया था। 1908 में उन्होंने एक छोटे से कमरे में स्कूल खोला। शुरुआत में 17 लड़कियों को पढ़ाया। 1960 तक उनका स्कूल चला, पर संसाधनों के अभाव में उसे बंद करना पड़ा।
किस्मत ने दिया धोखा
उनकी कहानी टाइटेनिक के अंत की तरह ही दुखद है। एनी अपने घर जाने के लिए छत्तीसगढ़ से मुंबई पहुंचीं और फिर समुद्र के रास्ते इंग्लैंड के साउथहैंपटन शहर। वहां से उन्हें अमेरिका के लिए ‘एसएस हेवरफॉर्ड’ नामक जहाज में जाना था। लेकिन कोयला श्रमिकों की हड़ताल के चलते उन्हें 13 पाउंड के बदले में टाइटेनिक का दूसरे दर्जे का टिकट दे दिया गया। उन्होंने यात्रियों के साथ अपना 38वां जन्मदिन भी टाइटेनिक पर मनाया था।
नहीं भूलीं अपना धर्म
दुर्घटना वाली 14 अप्रैल की रात को जब टाइटेनिक आइसबर्ग से टकराया तो एनी जहाज के डेक पर पहुंचीं, पर मानवता का अपना प्रण नहीं भूलीं। लाइफबोट में केवल एक ही सीट बची थी। जिसे उन्होंने एक अन्य महिला और उसके छोटे बच्चे को दे दिया।
यूं दी गई श्रद्धांजलि
टाइटेनिक डूबने के 100 साल बाद अमेरिका में उन्हें याद किया गया। उन पर ‘रिमेम्बरिंग एनी फंक’ डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है। इसकी स्क्रीनिंग पेन्सिलवेनिया में होगी। वेबसाइट Ancestry.co.uk में उनका नाम मारे गए 1500 लोगों में शामिल है।
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