Re: श्री कृष्ण-गीता (हिन्दी पद्द-रूप में)
अर्जुन-
मन चंचल ठहर न पाता है
पल में विचलित हो जाता है
ज्यों वश में करना कठिन पवन
त्यों मुश्किल से वश में हो मन
भगवन, मन है गतिमान बड़ा
भगवन, मन है बलवान बड़ा
इसलिए बताएं वह साधन
जिससे कभी न भटके मन
यह वश में रहे सदा मेरे
भ्रम कभी नहीं इसको घेरे
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