Re: श्री कृष्ण-गीता (हिन्दी पद्द-रूप में)
भगवान-
माना मन है गतिमान बड़ा
माना मन है बलवान बड़ा
माना यह ठहर न पाता है
पल में विचलित हो जाता है
लेकिन अभ्यास से सब कुछ हो
वश में कर सकते हो मन को
अभ्यास नहीं करता जो नर
वह मन को सके न वश में कर
उसका मन भटकता रहता है
विषयों में अटका रहता है
जो नर रहता अभ्यास-लीन
मन हो जाता उसके अधीन
उसका मन भटक नहीं सकता
विषयों में अटक नहीं सकता
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