Re: मुझे प्रिसेंज ऑफ कत्थक कहा जाता था- नीलिमा
नृत्य और थिएटर जगत में नीलिमा की बढ़ती लोकप्रियता ने उन्हें हिंदी फिल्मकारों की नजर में ला खड़ा किया. पंद्रह वर्ष की छोटी उम्र में नीलिमा के पास शीर्ष फिल्म निर्देशकों की फिल्मों के प्रस्ताव आने लगे. नीलिमा गर्व के साथ बताती हैं, ''मेरे पास सबसे पहली फिल्म आई थी जहर-ए-इश्क. गर्म हवा फिल्म के बाद एम सथ्यू मेरे साथ यह फिल्म बनाना चाहते थे. उसके बाद सत्यजीत रे की फिल्म का ऑफर मेरे पास आया. माणिक दा मुझे अपनी फिल्म में लीड रोल देना चाहते थे. सावन कुमार टक दो फिल्मों का ऑफर लेकर मेरे पास आए थे- सौतन की बेटी और प्यार की जीत. फिर श्याम बेनेगल की मंडी का ऑफर मेरे पास आया. यश चोपड़ा मुझे मशाल में कास्ट करना चाहते थे. उस रोल को बाद में रति अगिनहोत्री ने निभाया. उत्सव और उमराव जान फिल्में पहले मेरे साथ सोची गई थीं. लोग कहेंगे कि मैं पागल हूं, जो मैंने इन फिल्मों का ऑफर ठुकरा दिया, लेकिन महाराज जी (पंडित बिरजू महाराज)के साथ मेरी डांस की ट्रेनिंग पूरी नहीं हुई थी. मैं डांस की ट्रेनिंग अधूरा नहीं छोडऩा चाहती थी.
नीलिमा जिन दिनों अपने नृत्य करियर पर फोकस कर रही थीं, उन्हीं दिनों पंकज कपूर ने उनकी जिंदगी में अपने प्यार की खूशबू इस कदर बिखेरी कि वे उनके बिना अपने वजूद की कल्पना नहीं कर पा रही थीं. दोनों ने शीघ्र ही प्यार को सामाजिक स्वीकृति देने का फैसला कर लिया. पंकज और नीलिमा ने दिल्ली में शादी कर ली. शाहिद कपूर की पैदाइश ने उनके प्यार को और मजबूती दी, लेकिन अफसोस कि यह प्यार ज्यादा दिन तक बरकरार नहीं रह पाया. पंकज कपूर से शादी के टूटने का कारण नीलिमा बताती हैं, ''वह शादी परिस्थितियों और दूरियों की वजह से खत्म हुई. मैं दिल्ली में थी और पंकज साब मुंबई में थे. हम साथ रहे ही नहीं. हमारा घर बसा ही नहीं. शादी के फौरन बाद पंकज मुंबई आ गए थे. ये भी नहीं था कि चार-पांच साल का हमारा साथ रहा. शादी का मतलब है कि आप साथ रहें. गृहस्थी पति-पत्नी के साथ रहने से बनती है. पंकज और मेरी फैमिली बनी ही नहीं.
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