Re: Sweet love story
अपनी कहानी फोरम पर शेयर करने के लिये आपका धन्यवाद, शिखा जी. यह प्रेमकथा रोचक व मोहक आरम्भ के बाद त्रासदी में परिवर्तित हो जाती है. इसका अंत बहुत मार्मिक है. लेकिन यह देख कर दुःख होता है कि कहानी के प्रमुख पात्र (प्रमुखतः कथा-नायिका तथा उसकी माँ) परिस्थिति का साहस पूर्वक सामना करने की जगह वास्तविकता से पलायन करने की कोशिश करते नज़र आते हैं. इसी में वे अपने प्रेम और कर्तव्य की इतिश्री मान लेते हैं.
कहानी में वर्णित लड़का और लड़की एक दूसरे से बेपनाह मुहब्बत करते हैं, उनके माँ-बाप भी उनकी शादी के लिये सहमत हैं. सभी लोग समझदारी का परिचय देते हैं. लेकिन यहीं कहानी एक अजीब मोड़ लेती है. दो प्रेमियों में से एक को (यानि लड़की को) यदि कोई घातक बीमारी है तो इसे छुपाये रखना होने वाले पति के साथ धोखा या छल नहीं है तो क्या है? यदि यह स्थिति शादी के बाद पैदा होती तो क्या उस समय भी लड़की सबको छोड़ कर बिना बताये विदेश चली जाती?
एक ईमानदार पाठक की हैसियत से मैं मानता हूँ कि कहानी का एंटी-क्लाइमेक्स आधुनिक विचारधारा में पले-बढ़े युवक युवतियों की सोच पर प्रश्न-चिन्ह लगाता है और निराश करता है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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