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Originally Posted by kuki
ये लघुकथा मुंशी प्रेम चंद की है। आज ३१ जुलाई को उनकी १३५ जयंती है। मुंशी प्रेम चंद हिंदी साहित्य में एक बड़ा नाम है ,उनकी रचनायें आज भी बहुत प्रासंगिक हैं और आम आदमी से जुडी हुई हैं। उनकी कहानियां ,उनके उपन्यास दिल को छूने वाले होते थे ,आम आदमी के जीवन से जुड़े होते थे। आजकल ऐसी रचनाएँ पढ़ने को बहुत कम मिलती हैं।
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कुकी जी आज समाज भले कितना ही सुधर रहा है पर कहीं न कहीं आज भी ये समस्या आज भी है लोगो का दृष्टि कोण थोडा बदला जरुर है पर अब भी ग्रामीण इलाकों में जाती वाद का प्रभाव अब भी है जिसका अनुभव मुझे इस बार की इंडिया यात्रा के समय हुआ .
मुंशी प्रेमचंद जी जैसे महान लेखक को हमारा नमन ..