Re: munshi premchand
प्रेमचंद जी की रचनाए हम कभी भुला नहीं सकते. सच ही कहा गया है की सच्ची भावना से किये गए काम बिना किसी प्रमोशन प्रचार के भी संसार में अपना अस्तित्व बनाए रखते है, स्वयं विचार करे, मुंशी जी सारा जीवन गरीबी में कटे पर साहित्य सेवा कभी नहीं रुकी. यही वजह है की मुंशी जी की पहचान आज किसी की मोहताज नहीं, न तो उनके लिए प्रचार प्रसार किया जाता है यहाँ तक की नेता जी लोग भी शायद ही राजनितिक स्वार्थ के लिए उनका ज्यादा जिक्र करते हो. पर स्कूल की किताबे और समाज का सत्य सदैव उनकी याद दिलाता है. उन्हें याद रखनेकी वजह भी है और वो ये की उनकी तस्वीर सत्य पर छप गई है, उन्होंने इतनी गहरे में जेक समाज के यथार्थ का चित्रण किया की हमेशा उनके कहानियो की झलक आज भी दिख ही जाती है और उनकी याद मिटने से बचा लेती है . कमाल के इन्सान थे अब इससे ज्यादा प्रभावशाली प्रमोशन क्या होगा की सत्य पर ही खुद को स्थापित करदो लोग भूलेंगे कैसे, झूठे प्रचार के चक्कर में पड़े रहने वाले कंपनी के लोगो को सीख लेनी चाहिए . हा बस संयम काफी रखना पड़ेगा .
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