Re: मुझे मत मारो :.........
[QUOTE=Dr.Shree Vijay;540302][SIZE="3"][COLOR="Blue"]प्रिय पुष्पा जी, 1. सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक आभार....
2. आपने एक सुंदर प्रश्न रख्खा हें कि " jub ghar ki chaar diwari se use bahar nikalne diya jayega tab hi uski pratibha ka pata dunia ko chalega sabke samne aaye tab hi wo apni yogyata bata sakti hai " ?
तों मेरे हिसाब से इस प्रश्न का उत्तर आपने ही दे दिया हें -
kintu jub exhibition me heere ko rakha jata hai tab hi log uski parakh kar sakte hain ...
यह बात तों जोहरी अच्छी तरह से जानता हें कि हीरे को कब उचित स्थान और उचित समय पर सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित करना हें, अनमोल वस्तुओं को हाट बजार या सब्जीमंडी में तों प्रदर्शित नही किया जाता हें......
इस कथा का मूल हार्द बेटियों कि परवाह(Care), उनकीं फ़िक्र से हें,
जिसको संत महात्मा जी ने अनमोल हीरे से बेटियों कि तुलना करके श्रेठतम उदाहरण द्वारा समझाया कि बेटियां अनमोल हें, यहाँ पर चार दीवारी में बंध रखने कि जैसी कोई बात ही नही हें, और ना ही इस कथा में ऐसा कोई प्रश्न किया गया हें.......
डॉ श्री विजय जी , बहुत बहुत आभार , आपने इस कहानी के जिस स्वरुप को आपनी नजर से देखा वो पहली नजर में मुझे भी बहुत अच्छा लगा की, संत जी ने कितने अछे से समझाया
किन्तु आपसे इतना पूछना चाहूंगी की हमारे समाज में बाबाओ ने इस तरह की कहानियो द्वारा अपरोक्ष रूप से स्त्री स्वतंत्रता पर बंदिश नही लगाईं ? आपको एइसा कभी नही लगा क्या ? मेरे ख्याल से आप जरुर मानते हैं इस बात को क्यूंकि आपने इसी सूत्र में महिलाओं के लिए बहुत अच्छा अच्छा लिखा है .
बाकि डॉ श्री विजय जी मैंने आपने सभी विचार हीरे की परख वाले ब्लॉग में रखे हैं please आप उसे पढियेगा तब आप समझ जायेंगे की मैंने कुछ गलत बात नही कही .
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