Re: कुतुबनुमा
पड़ौसी से सचेत तो रहना ही पड़ेगा
पाकिस्तान की कथनी और करनी में फर्क हमेशा ही से देखने को मिला है। हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में जो चौंकाने वाला खुलासा हुआ है वह निश्चित रूप से भारत के लिए भी सावचेती के साथ आंखें खुली रहने जैसा है। अमेरिका की संस्था रिचिंग क्रीटिकल विल आॅफ द वूमेंस इंटरनेशनल लीग फार पीस एंड फ्रीडम ने दुनिया में परमाणु आधुनिकीकरण शीर्षक से एक रिपोर्ट तैयार की है। डेढ़ सौ से ज्यादा पेज वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान जिस तरह से अपने परमाणु हथियारों के जखीरे में तेज से वृद्धि कर रहा है उसके बारे में अनुमान है कि उसके पास भारत से अधिक परमाणु हथियार हैं। हाल ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी निजी दौरे पर भारत आए थे तो उसकी पूर्व संध्या पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा था कि पाकिस्तान कभी भी पहला परमाणु हमला भारत पर नहीं करेगा। सवाल यही उठता है कि जब पाकिस्तान की सोच यही है तो फिर वह परमाणु हथियारों का जमावड़ा बढ़ा क्यों रहा है जबकि शांतिप्रिय भारत से तो उसे ऐसा कोई खतरा होना ही नहीं चाहिए। अगर हम पिछला इतिहास उठा कर देखें तो जब-जब अमेरिका ने भारत के साथ सामरिक रिश्तों को मजबूत करने के प्रयास किए हैं, तब तब पाकिस्तान खौफ में आकर या तो सीमा पर अपनी हरकतें तेज कर देता है या अपने सैन्य जमावड़े में बढ़ोतरी के प्रयास करने लगता है। ताजा रिपोर्ट में रहा गया है कि अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान के पास 90 से 110 परमाणु हथियार हैं। यही नहीं पाकिस्तान के पास कम दूरी, मध्यम और लंबी दूरी की जमीन से जमीन पर मार करने वाली कई बैलिस्टिक मिसाइलें विकास के अलग अलग चरणों में हैं। इसके अलावा उसके पास 2750 किलोग्राम हथियार बनाने वाला उच्च संवर्द्धित यूरेनियम है। यह प्रयास साफ यही इशारा कर रहे हैं कि हमारा पड़ौसी याने पाकिस्तान भले ही अपने विकास के साधनो पर खर्च होने वाली राशि में कमी कर रहा हो लेकिन खुद को हथियारों से लैस करने व परमाणु हथियार विकसित करने पर अपने सामर्थ्य से ज्यादा सालाना करीब 2.5 अरब डालर खर्च कर रहा है। पाकिस्तान के इस कदम पर लगातार नजर रख कर भारत को सावचेत तो रहना ही पड़ेगा।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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