Re: प्रेरक प्रसंग
लाहौर कालेज का एक प्रतिभाशाली छात्र फारसी के साथ स्नातक परीक्षा देना चाहता था पर किसी ने जब उसे यह समझाया कि तुम ब्राह्मण के बेटे हो तुम्हें संस्कृत लेकर स्नातक करना चाहिए तो कम समय होने के बावजूद उन्होंने संस्कृत में स्नातक करने का विचार किया और निश्चय कर संस्कृत के अध्यापक को अपना विचार बताया तो उन्होंने कहा " इतने कम समय में तुम संस्कृत शिक्षा ग्रहण कर सकोगे ? , मैं तो तुम्हें पढ़ाने की चेष्ठा करुगा पर यह कैसे सम्भव हो सकेगा ?"
तब छात्र ने कहा "गुरुवर आपने शिक्षा देना स्वीकार कर लिया, मैं धन्य हो गया. मेरा प्रयास यही रहेगा कि आपको पछताना न पड़े."
इसके पश्चात वे सर्वप्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण हुए और आगे चलकर वे "स्वामी तीर्थराम" के नाम से प्रसिद्ध सन्त बने.
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