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Originally Posted by soni pushpa
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हे ईश्वर गर भटक भी जावूं राहें , मंज़िले मैं अपनी
आकर संभाल लेना ये छोटी सी कश्ती मेरी।
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दुनिया के सभी आडंबर व माया मोह व्यक्ति को भटका देते है. ऐसे में आपकी प्रार्थना के शब्द आत्मिक बल का आह्वान करते हैं. बहुत सुंदर कविता. फ़ोरम पर इसे शेयर करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.