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Old 01-11-2014, 10:03 PM   #165
rajnish manga
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Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

प्रेम को शब्दों से लिख कर परिभाषित नहीं किया जा सकता और कर्म की राह थी नहीं, सो चुपचाप मौन ईश्वर को याद कर रहा था। अपने इस कार्य के लिए मन में मलीनता नहीं थी बस था तो एक समर्पण, जिससे कहीं अंदर यह शकून मिलता कि मैंने प्रेम के राह पर सर्वस्व नेव्छावर कर दिया है।

इसी द्वंद में ईश्वर से राह दिखाने की प्रार्थन करता बढ़ा जा रहा था कि किसी ने रीना का हाथ आकर पकड़ लिया। यह उसका बड़ा भाई था। हे भोला। आठ दस लोग और थोड़ी दूरी पर खड़े थे। सबकुछ इतना अचानक और अप्रत्याशित था कि दोनों ठकमका कर रह गए। किसी के मंुह से आवाज नहीं निकली और किसी ने प्रतिरोध भी नहीं किया। वह रीना को हाथ पकड़ कर ले जा रहे थे और मैं तन्हा
, खामोश, अवाक देख रहा था। रीना मेरी ओर देखते हुए जा रही थी, एक बुत की तरह, जिसके प्राण को निकाल कर वही प्लेटफार्म पर ही रख दिया गया हो और प्राण भी निस्तेज देख रहा था जैसे बिना शरीर उसके होने का औचित्य भी कुछ नहीं था।

वह लगभग स्टेशन के निकास द्वार पर पहूंच ही गए थे कि अन्तस से किसी ने जोर से हिलकोर दिया। जागो
, जागो, जहां प्राण को दांब पर लगा दिया वहां इस तरह से माटी का माधो बनने से क्या फायदा।

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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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