जिन्हें तुम प्यार करते हो
जिन्हें तुम प्यार करते हो
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जिन्हें तुम प्यार करते हो उन्हें नाराज़ मत करना
न जाने वो तुम्हारी बात को किस रूप में लेंगे
ये मुमकिन है तुम्हारी बात उनके काम आ जाये
संभव यह भी है कि बात उनके दिल को लग जाये
बहुत से लोग अपने दिल के हाथों मात खाते हैं
बहुत से लोग ज़रा सी बात से भी टूट जाते हैं
हैं ऐसे लोग भी जो बात सह जाते हैं हिम्मत से
मगर ऐसे भी हैं जो बात को दिल पे लगा लेंगे
तुम अच्छी बात करते हो भले की बात करते हो
बड़े बूढ़े जवाँ छोटे की वय अनुभव की करते हो
मगर हर शख्स अब अपनी समझ अनुसार चलता है
इसी से मैं ये कहना चाहता हूँ दोस्तों तुमसे
कोई अपना चला जाये न हमसे रूठ के ऐसे
कि फिर से वो हमारे बीच वापिस आ ही न पाये
हमारे वास्ते अनमोल थे, अनमोल हैं सबसे
वही इतने जो प्यारे हैं सदा के लिए बिछड़ जायें...
[नोट: यह रचना समाचार पत्रों की उन सुर्ख़ियों पर आधारित हैं जिनमें माता-पिता अथवा अध्यापकों की डांट फटकार के परिणामस्वरूप अवसादग्रस्त बच्चे अथवा लम्बे समय तक सास-ससुर व पति की प्रताड़ना से दुखी हो कर महिलायें आत्महत्या कर अपनी जान दे देती हैं]
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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