Re: उमर खैय्याम की रुबाइयां
The Worldly Hope men set their Hearts upon
Turns Ashes--or it prospers; and anon,
Like Snow upon the Desert's dusty Face,
Lighting a little hour or two--is gone.
दुनियां में हज़ारों अशिया हैं किस किस की ख्वाहिश में मरना.
जो पूरी हुयी सो पूरी हुयी बाक़ी का मगर दुःख क्या करना.
जीवन तो हमारा है इक दरिया, मकसद है समंदर में मिलना,
जो कुछ है यहीं रह जाना है अब इनकी तरफ रूख क्या करना.
(रजनीश मंगा)
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