Re: उमर खैय्याम की रुबाइयां
The Moving Finger writes; and, having writ,
Moves on: nor all your Piety nor Wit
Shall lure it back to cancel half a Line,
Nor all your Tears wash out a Word of it.
किस्मत का लिखा लेख भला कैसे मिटेगा.
कितनी भी हो फरियाद, मगर हो के रहेगा.
इक लफ्ज़ न तहरीर का तदबीर बदल पाये,
आंसुओं की भले बरसात करो, ये न हटेगा.
(रजनीश मंगा)
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