View Single Post
Old 04-03-2013, 07:52 PM   #10
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: लोक कथाएं

हिरमिट ने कहा - "क्यों न हम इस पेड़ पर चढ़ जायें?"

बकरी ने कहा - "हाँ, ये ठीक है - चल हम तीनों इस पेड़ पर चढ़ जाते हैं"।

बकरी और खिरमिट, हिरमिट पेड़ पर चढ़ गये और आराम करने लगे।

उधर बाघिन बकरियों के माँद में पहुँची। उसने इधर देखा, उधर देखा, कहाँ गयी बकरियाँ? बाहर आई और उसके बाद बकरियों के पैरों के निशान देखकर समझ गई कि वे तीनों किस दिशा में गये। उसीको देखते हुए बाघिन चलती रही, फिर दौड़ती रही। उसे ज्यादा समय नहीं लगा उस पेड़ के पास पहुँचने में। पैरों के निशान पेड़ तक ही थे और बकरियों की गंध भी तेज हो गयी थी।

बाघिन ने ऊपर की ओर देखा। अच्छा, तो यहाँ बैठे हो सब।

बाघिन ने कहा - "अभी तुम तीनों को मैं खा जाऊँगी - अभी ऊपर आती हूँ"।

खिरमिट और हिरमिट तो डर गये। डरके माँ से लिपट गये। बकरी ने कहा - "अरे डरते क्यों हो? जब तक हम पेड़ के ऊपर बैठे हैं वह बाघिन हमें खा नहीं सकती"- अब खिरमिट के मन में हिम्मत हुआ उसने कहा -

" दे तो दाई सोने का डंडा" । बाधिन ने सोचा पेड़ के ऊपर बकरी के पास सोने का डंडा कहाँ से आयेगा? बाघिन ने कहा - "सोने का डंडा तुझे कहाँ से मिला?"

बकरी ने कहा " खिरमिट हिरमिट, ये ले डंडा" । ये कहकर बकरी ने ऊपर से एक डंडा फेका - बाघिन के पीठ पर वह लकड़ी गिरी। बाघिन ने सोचा डंडा तो डंडाही है - चोट तो लगती है - वह वहाँ से हट गई। लेकिन पेड़ के आस पास ही रही।

अब बकरी कैसे अपने बच्चों को लेकर नीचे उतरे? बकरी मन ही मन बहुत परेशान हो रही थी।

उधर बाघिन परेशान थी ये सोचकर की कब तक उसे बकरियों के इंतजार में पेड़ के नीचे रहना पड़ेगा?

तभी बाघिन ने देखा वहाँ से तीन चार बाघ जा रहे हैं। सबसे जो बड़ा बाघ था उसका नाम था बंडवा। बाघिन बंडवा के पास गई और उस पेड़ कि ओर संकेत किया जिस पर बैठी थी बकरियाँ। बंडवा तो बहुत खुश हो गया, वह अपने साथियों को साथ लेकर पेड़ के नीचे आकर खड़ा हो गया।

बकरी अपने बच्चों से कह रही थी - "डर किस बात का? ये सब नीचे खड़े होकर ही हमें देखते रहेंगे"। लेकिन तभी उसने देखा कि बडंवा पेड़ के नीचे खड़ा हो गया, उसके ऊपर बाघिन, बाघिन के ऊपर और एक बाघ, उसके ऊपर......अब तो चौथा बाघ पेड़ के ऊपर तक आ जायेगा - बकरी अब डर गई थी, कैसे बचाये बच्चों को - तभी खिरमिट ने कहा -

दे तो दाई सोना के डंडा
तेमा मारौ तरी के बंडा
ये सुनकर बडंवा, जो सबसे नीचे था, भागने लगा, और जैसे ही वह भागने लगा, बाकी सब बाघ धड़ाम धड़ाम ज़मीन पर गिरने लगे। गिरते ही सभी बाघ भागने लगे। सबको भागते देख बाघिन भी भागने लगी - बकरी ने कहा - "चल खिरमिट चल हिरमिट, हम भी यहाँ से भाग जाए। नहीं तो बाघिन फिर से आ जायेगी।"

बकरी अपने बच्चों को साथ लिए दौड़ने लगी। दौड़ते दौड़ते जंगल से बाहर आ गये। तीनों सीधे बुढ़ी माई के घर आ गये। और बुढ़ी माई को चारों ओर से घेर लिया। बुढ़ी माई और बुढ़ा बाबा उन तीनोंको देखकर बड़े खुश हुये। अब सब एक साथ खुशी-खुशी रहने लगे।
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote