आता है याद मुझको
^
बहुत से लोग कहते हैं और मानते हैं कि जीवन एक सफ़र है जो जन्म से शुरू होता है और जीवन के अंतिम श्वांस तक चलता है. इस सफ़र के दौरान मनुष्य को बहुत से खट्टे-मीठे अनुभव होते हैं. कई बार यह अनुभव हमें बहुत महत्वपूर्ण नज़र आते हैं और कई बार बहुत सामान्य. कई बार ये हमारे जीवन की धारा ही बदल देते हैं और कई बार एक छोटी सी मुस्कान छोड़ जाते हैं. ऐसे ही कई अनुभव और यादें मैं आपके साथ साझा करूँगा. आशा है आपको मेरा यह प्रयास पसंद आयेगा. आप भी अपने जीवन के छोटे-बड़े व खट्टे-मीठे अनुभव शेयर करने के लिये सादर आमंत्रित हैं ताकि यह सूत्र अधिक से अधिक सदस्यों के दिल तक पहुँच सके.
अल्लामा इक़बाल की एक छोटी सी नज़्म यहाँ उद्धृत करना चाहता हूँ:
आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़माना,
वो बाग़ की बहारें वो सबका चह-चहाना
आज़ादियाँ कहाँ वो अब अपने घोंसले की,
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना
लगती है चोट दिल पर, आता है याद जिस दम,
शबनम के आंसूओं पर कलियों का मुस्कुराना
वो प्यारी प्यारी सूरत, वो कामिनी सी मूरत,
आबाद जिस के दम से था मेरा आशियाना