धीरे धीरे रमा रवि से प्यार करने लगती है, राय साहब भी रवि पर विश्वास करने लगते है। रवि धीरे धीरे अपने प्रयासों से बच्चों के दिल से अपने दादा जी, मतलब की राय साहब के प्रति जो गुस्सा था वह निकाल देता है।
उल्लेखनीय है की विलन या नेगेटीव रोल में प्रस्थापित हो चूके प्राण साहब की केरेक्टर भूमिका दर्शकों और विवेचकों द्वारा बहुत पसंद की गई। जितेन्द्र और प्राण को अपने चलते आ रहे रोल से अलग लेकिन यथायोग्य रोल में देखना...
बहुत फ्रेश अप्रोच था!