Re: नेहरु भी चाहते थे कश्मीर में जनमत संग्रह
कश्मीर की आत्मा
13. लोक सभा में 31 मार्च, 1955 को अपने बयान में, हिंदुस्तान टाइम्स में 1 अप्रैल, 1955 को छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, पंडित नेहरू ने कहा, "भारत और पाकिस्तान के बीच सभी समस्याओं में शायद सबसे कठिन समस्या कश्मीर है. हमें यह याद रखना चाहिए कि कश्मीर कोई वस्तु नहीं है जिसे भारत और पाकिस्तान के बीच ठेला जाए, बल्कि उसकी अपनी एक आत्मा है और अपना एक व्यक्तित्व है. बिना कश्मीर के लोगों की इच्छा और सद्भावना के कुछ भी नही किया जा सकता."
14. सुरक्षा समिति की 765वीं बैठक, जो कश्मीर के बारे में थी, में भाग लेते हुए सुरक्षा समिति को दिए अपने एक बयान में भारतीय प्रतिनिधि श्री कृष्णा मेनन ने कहा, "जहाँ तक हमारा सवाल है, मैंने इस समिति को अब तक जितने बयान दिए हैं उनमें से किसी में एक शब्द भी ऐसा नहीं है जिसका अर्थ यह लगाया जा सके कि हम अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों का सम्मान नहीं करेंगे. मैं दस्तावेज़ों में दर्ज करने के उद्देश्य से यह कहना चाहता हूँ कि भारत सरकार की ओर से ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया है जिससे ज़रा सा भी अंदेशा हो कि भारत सरकार या भारतीय संघ उन अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों की अवमानना करेगा, जिनका पालन करने का उसने वचन दिया था."
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