Re: !! मेरी कहानियाँ > रजनीश मंगा !!
[QUOTE=rajnish manga;547657][size=3][font=&qu संबल था. किन्तु अब ..... वक़्त ने ऐसी करवट ली कि उसके नीचे उसके सारे कोमल और सुनहरे सपने दब कर रह गये थे. पति की उपेक्षा, प्रताड़ना और उसके बाद होने वाली मारपीट ने उसे बुरी तरह तोड़ डाला था. इस टूटन के कारण उम्र से पहले ही वह जैसे बूढी हो गयी थी. मन मार कर जितना बन पड़ता काम करती, पर जल्द ही थक जाती और हांफने लगती.
इंसानी दुखों का कही अंत नही इसलिए ही जीवन को एक संग्राम कहा गया है ,, इम्तिहान कहा गया है क्यूंकि मानव जीवन में कठिनाइयाँ अधिक और खुशिया कम होतीं है .
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