Re: बॉलीवुड शख्सियत
पृथ्वीराज कपूर
आधुनिक हिंदी सिनेमा और थिएटर के पितामह पृथ्वीराज कपूर (सुपुत्र दीवान बशेश्वरनाथ कपूर) की रूचि कॉलेज के दिनों से ही थियेटर में हो गई थी तथा उन्होंने अपने कॉलेज ‘एडवर्ड कॉलेज’ से ही थियेटर करना शुरू कर दिया था. उन्होंने रूपहले पर्दे के साथ-साथ अपने पहले प्यार ‘रंगमंच’ को भी निरंतर विकसित किया.
पृथ्वीराज कपूर का विवाह मात्र 18 वर्ष की उम्र में ही हो गया था और वर्ष 1928 में अपनी चाची से आर्थिक सहायता लेकर वे अपने सपनों के शहर बम्बई (अब मुंबई) पहुंचे। इसी वर्ष प्रदर्शित 'खानदान' उनके करियर की पहली फिल्म थी।
लगभग दो वर्ष तक फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष करने के बाद पृथ्वीराज कपूर को वर्ष 1931 में प्रदर्शित पहली सवाक फिल्म 'आलमआरा' में सहायक अभिनेता के रूप में काम करने का मौका मिला। वर्ष 1934 में देवकी बोस की फिल्म 'सीता' की कामयाबी के बाद बतौर अभिनेता पृथ्वीराज कपूर अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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