Re: भारतीय मुद्रा की 1 झलक
मुद्रा का चलन भारत मे छठी सदी पूर्व से ही आरंभ हो चला था। पुरातत्व विभाग के उत्खनन से कई सदी पुरानी सिक्के हमे मिले हैं, चन्द्रगुप्त मौर्य, सातवाहन, समुद्रगुप्त, आदि आदि के शासन काल के। अपने अस्तित्व के क्रम मे प्रागैतिहासिक काल से ही, अथवा सृष्टि के विकास के साथ साथ अनेक उतार चढ़ाव देखने के बाद, मुग़ल काल मे एक सही और सार्थक मुद्रा व्यवस्था प्रचलन मे आई। पण ,कौड़ी आदि विभिन्न नामों से अलंकृत होता हुआ ,संस्कृत शब्द से निकले रुपैया पर आकर यह स्थायी नाम ग्रहण कर लिया। ग्रामीण इलाकों मे आज भी लोग इसे रूपा ही कहते हैं।
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ज्ञान का घमंड सबसे बड़ी अज्ञानता है, एंव अपनी अज्ञानता की सीमा को जानना ही सच्चा ज्ञान है।
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