शाकाहार
तोला मांस की कीमत
मगध के सम्राट श्रेणिक ने एक बार अपनी राजसभा में पूछा, 'देश की सबसे सस्ती खाद्य वस्तु क्या है?' सभी सदस्य सोच में पड़ गए. चावल गेंहू आदि तो प्रकृति का पूरा सहयोग मिलने पर भी काफी मेहनत से ही मिल पाते हैं. शिकार के शौक़ीन एक दरबारी ने सोचा कि मांस ही ऐसी चीज़ है जिसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है. उसने यही बात मुस्कुराते हुए कही, तो सबने उसकी हाँ में हाँ मिला दी, लेकिन मगध का प्रधानमंत्री अभय कुमार चुप रहा. श्रेणिक ने उसे भी अपना विचार प्रकट करने को कहा. अभय कुमार ने कहा, 'मैं इससे सहमत नहीं. मैं कल अपने विचार आपके समक्ष रखूँगा.' रात होने पर प्रधानमन्त्री सीधा सामंत के महल पर पहुंचा, जिसने सबसे पहले अपना प्रस्ताव रखा था. उसने द्वार खटखटाया. सामंत ने दरवाज़ा खोला. इतनी रात को प्रधानमंत्री को देखकर वह घबरा गया.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'शाम को महाराज श्रेणिक बीमार हो गए हैं. उनकी स्थिति ीक नहीं है. राजवैद्य ने कहा की किसी बड़े आदमी के ह्रदय का दो तोला मांस मिल जाये तो उनके प्राण बच सकते हैं. आप महाराज के विश्वासपात्र हैं, इसलिए मैं आपके पास आपके ह्रदय का दो तोला मांस लेने आया हूँ. इसके लिए आप जो भी मूल्य लेना चाहें, ले सकते हैं. कहे तो लाख स्वर्ण मुद्रा भी दे सकता हूँ.' यह सुनते ही सामंत के होश फाख्ता हो गए. उसने समझा, अब तो मेरी मृत्यु तय है. उसने प्रधानमंत्री के पैर पकड़ के कहा, 'मुझे क्षमा कर दें, ऐसा कैसे संभव है? आप एक काम करें मुझसे एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ ले जाएँ और किसी दुसरे सामंत के ह्रदय का मांस खरीद लीजिए.' मुद्राएँ लेकर प्रधान मंत्री बारीबारी सभी सामंतो के द्वार पहुंचा. उसने सबसे राजा के लिए ह्रदय का दो टोला मांस माँगा, लेकिन कोई भी राजी नहीं हुआ. सबने अपने बचाव के लिए एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ दे दी.
सवेरे होने पर प्रधानमन्त्री राजा के पास गया, उसने धन से भरी थैली राजा के सामने रख दी. लाखों स्वर्ण मुद्राएँ देख श्रेणिक ने पुछा, 'ये कहाँ से आयीं?' प्रधान मंत्री ने उन्हें सारी बात बताई फिर कहा, 'देखा आपके सामंत अपना जीवन बचाने के लिए किस तरह धन खर्च करने तैयार हैं. अब आप सोच सकते हैं कि मांस कितना सस्ता है? हर प्राणी खुद के जीवन को तो अनमोल समझता है, लेकिन दुसरे के जीवन की कीमत नहीं समझता.' श्रेणिक ने प्रधानमंत्री अभय कुमार को खूब शाबाशी दी और सही बात के लिए एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ भी दी.
किसी भी जीव का मांस खाने के पहले कृपया सोचे – आप अपने हृदयका दो तोल मांस देसकते हैं क्या ?
आज पूरी दुनिया में मांसाहार बढ़ते जा रहा है और लाखो पशुओं की बलि इंसानों के लिए दी जा रही है गौ हत्या तो पाप है ही किन्तु मेरा मानना है की जब किसी भी जीव को मारा जाता है तब जरुर उसे दर्द होता ही होगा तो क्यों निर्दोष जानवरों की जान लेकर खुद के पेट को श्मशान बनाना . हमें छोटी सी चोट लगती है तब कितना दर्द होता है न तो सोचिये जब किसी जानवर को काटा जाता होगा तब उसे कितना दर्द होता होगा? हम इन्सान तो चिल्ला सकते हैं अपने दुःख को सबको बता सकते हैं लेकिन जानवर बेचारे न बोल सकते है न समझा सकते है अपने दर्द को ..
दुनिया में पेट भरने के लिए भगवान ने बहुत सारी चीज़े बनाई है तो हम उससे भी पेट भर सकते हैं न ? क्यूँ बेचारे एक अबोल मासूम प्राणी को मारकर थोड़े से स्वाद के लिए एक हत्या का पाप आपने सर लें ?
कहानी का सार : शाकाहारी बने + सभी को शाकाहारी बनाये
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