Re: कुतुबनुमा
भाई जान आप ने बहुत अच्छी तरह से यह मुद्दा उठाया हैँ
लेकिन नतीजा भी वही होगा ढाक के तीन पात
किराया चाहे मर्जी जितना बढा ले ले देकर यात्री होगा बदहाल ही
क्षमा करे यह मेरी अपनी सोच हैँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना
जैसे इबादत करना
वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना
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