Re: ईश्वर के ये बने हुए हैं जो भी ठेकेदार
सामाजिक एवम् राजनैतिक क्षेत्रों में व्याप्त पाखंड और झूठ का पर्दाफाश करती है यह कविता. और मुखरता से चोट भी करती है. देर सवेर बदलाव अवश्य आएगा, यही आशा है. धन्यवाद, आकाश जी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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