Re: ब्लॉग वाणी
ऐसी दुआ कीजिए जिनमें दम हो
अनु सिंह चौधरी
पारूल नाम है उसका। वैसे प्यार से सब सीपू बुलाते हैं उसके। शहद सी बोली, उतनी ही मीठी शक्ल और उतने ही ख़ूबसूरत दिल की नेमत किसी एक को मिलती है तो कैसे मिलती है ये सीपू को पहली बार देखा था तो समझा था। उससे मेरा खून का रिश्ता नहीं। उसके भाई से मेरा एक धागे का रिश्ता है पिछले कई सालों से। इतने ही सालों से कि याद भी नहीं आता कि उसने क्यों मुझे दीदी कहना शुरू कर दिया था जबकि उम्र के इतने से फासले पर हम एक-दूसरे को नाम से ही बुलाया करते हैं। ख़ैर, उसी एक धागे और इसी एक धड़कते दिल का रिश्ता रहा कि हम महीनों ना मिलते लेकिन फिर भी एक-दूसरे की खबर ले रहे होते। उन्हीं खबरों में एक-दूसरों के परिवारों की,दोस्त-यारों की खबर शामिल होती। उन्हीं खबरों में ब्रेक-अप्स, हैंगअप्स, करियर ब्रेक्स, बदलते हुए पते, बदलती हुई पहचान और बदलती हुई जिรพन्दगियों की निशानियां भी बंटती रहीं। उन्हीं खबरों में सीपू की शादी होने की खबर भी थी जिसका जश्न मैंने फेसबुक पर उसकी सगाई और फिर शादी की तस्वीर देखकर मनाया। उन्हीं खबरों में सीपू के गोद में एक नए मेहमान के आने की खबर भी शामिल थी। और उन्हीं खबरों में सीपू की डिलीवरी से कुछ ही हफ्ते पहले उसके ब्रेस्ट कैंसर की ख़बर भी शामिल थी। बीबीएमए फेसबुक और फोन पर उन्हीं खबरों में सीपू की जीवटता और कैंसर से जूझने के किस्से भी शामिल होते रहे हैं। कल एक और खबर मिली। छह महीने के आरव की मां सीपू की हड्डियों में भी कैंसर फैलने लगा है। ना-ना। कोई मातमपुर्सी के लिए नहीं बैठे हम। हम बात सीपू की कर रहे हैं जिसके अदम्य साहस और जीजिविषा की बात करते हुए मुझे अपनी शब्दावली के अतिसंकुचित होने का अहसास होता है। दस दिनों के रेडिएशन और हॉर्मोनल इंजेक्शन के बाद सीपू ठीक हो जाएगी लेकिन उसकी हिम्मत मुझे हैरान करती है। लिखने तो बैठी हूं और सोचा तो है कि सीपू की तकलीफ और तकलीफ पर हर बार मिलती उसकी जीत के बारे में बताऊं आपको लेकिन शब्द कम पड़ रहे हैं। जिन्दगी वाकई सबसे बड़ी और कठोर अध्यापिका होती है। जिन पाठों को हम सीखना नहीं चाहते जिस सच को स्वीकार नहीं करना चाहते उसे सामने ला पटकने के कई हुनर मालूम हैं उसे। कहां तो हम छोटी-छोटी परेशानियों का हजार रोना रोते हैं और कहां संघर्ष ऐसा होता है कि हर पल भारी पड़े। अब अपनी तन्हाई का रोना रोना चाहती हूं तो सीपू याद आती है। मन को तो फिर भी बहला लें लेकिन उसके शरीर का दर्द लाख चाहकर भी कौन कहां बांट पाता होगा? हमें अपने-अपने हिस्से का दुख ख़ुद झेलना होता है और उस दुख को झेलकर जो निकलता है वही सच्चा सुपरस्टार होता है। सीपू, कैंसर से एक लड़ाई तुम लड़ रही हो और तुम्हारे साथ-साथ सीख हम रहे हैं। जिन्दगी के इम्तिहान में सीढ़ी दर सीढ़ी ऊपर तुम चढ़ रही हो, हिम्मत हमें मिल रही है। तुमसे सीखा है कि तकलीफों को हंसकर झेल जाने पर कविता-कहानियां लिखना बहुत आसान है, उन्हें महीनों लम्हा-लम्हा जीए जाना बहुत मुश्किल। तुमसे सीखा है कि जब तकलीफ मुसीबत और परेशानियां हर ओर से घेरती हैं तभी हमारी सही औकात सामने आती है। दुआ है कि मेरी एक दुआ में कई दुआएं शामिल हों और सबमें इतना असर तो हो कि तुम्हारी तकलीफ कम हो सके। दुआ ये भी है कि तुम्हारी हिम्मत का एक कतरा ही सही, हमें भी मिल सके।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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